जैसलमेर की तपती रेत में ईंट और पत्थर से बने गांव में गर्मी का बिल्कुल भी अहसास नहीं होता है।यहां घरों में ताला नहीं लगाया जाता था। यहां ध्वनि प्रणाली इतनी अच्छी थी कि रात में गांव में प्रवेश लेते ही गांव वालों को उसकी आवाज मिल जाती थी।घरों के झरोखे आपस में जुड़े हुए थे। इससे एक घर से अनेक घरों तक आसानी से आवाज पहुंचाई जा सकती थी।कहते हैं ये घर ऐसे कोण में बनाए गए हैं जहां से हवाएं सीधे प्रवेश करके निकल जाती हैं।