पतारा निवासी विलासा देवी की पहली शादी धीरपुर चरैया के छेद्दू से हुई थी। उनके दो बच्चे राजकुमारी व मुंशीलाल थे। पति से अनबन पर उन्होंने दूसरा विवाह इनायतपुर के कल्लू से कर लिया था। उनकी और कल्लू की चार संतान हैं। 32 साल की उम्र में एक रात सोते समय सांप ने उनके हाथ में काट लिया था। घर वालों ने मृत समझ उन्हें जाजमऊ के सिद्धनाथ घाट में गंगा में प्रवाहित कर दिया था।

वही विलासा देवी 40 वर्ष बाद दोबारा अपने गांव पहुंचीं हैं। परसों शाम वह अपने गांव पहुंची तो लोगों की भीड़ लग गई। विलासा का कहना है कि गंगा में प्रवाहित होने के बाद वह बहते हुए इलाहाबाद पहुंच गई थीं और गंगा किनारे एक मंदिर के पास बेहोशी की हालत में मल्लाहों को मिली थीं।

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