बंदर और लंगूर इंसान के पूर्वज हैं और इसीलिए दोनों में काफी हद तक समानताएं देखने को मिलती हैं। जानवरों में बंदर ही सबसे समझदार होता है। इस बात का अंदाज़ा आप इसी बात से लगा सकते हैं की काफी सालों पहले एक रेलवे स्टेशन पर रेलवे मास्टर की ड्यूटी कोई इंसान नहीं बल्कि एक लंगूर संभालता था। यह बात सुनने में थोड़ी अजीब ज़रूर लगती है लेकिन 1877 में दक्षिण अफ्रीका में कुछ ऐसा ही हुआ था। दरअसल जेम्स वाइड नाम के एक रेलवे कर्मचारी ने एक दुर्घटना में अपने दोनों पैर गंवा दिए थे। इस दुर्घटना के बाद उनकी जिंदगी में काफी बदलाव आगया। रेलवे स्टेशन पर ड्यूटी के दौरान जेम्सकी नज़र एक अनिखि किस्म के लंगूर पर पड़ी जो बैलगाड़ी खींचने का काम कर रहा था। जेम्स की नज़र इस लंगूर पर पड़ी और उसने उसे फ़ौरन ख़रीद लिया।

जेम्स ने थान लिया कि वो इस लंगूर को ट्रेनिंग देंगे। जेम्स को जल्दी ही अंदाज़ा हो गया कि जैक उसकी उम्मीदों से ज़्यादा स्मार्ट है और वो कई काम कर सकता है। जेम्स ने जल्द ही उसे कोल यार्ड की चाभियां संभालने का काम दे दिया। इसके अलावा स्टेशन के बगीचे की ज़िम्मेदारी भी जैक के कंधों पर ही थी।

जेम्स, जैक को इशारा करने के लिए केवल एक या दो उंगलियों का ही इस्तेमाल किया करते था। इशारा मिलते ही जैक सही लीवर दबा देता और इसके बाद इस होशियार लंगूर को किसी भी तरह के निर्देशों की जरूरत नहीं पड़ती थी। जैक हमेशा अपने मालिक की निगरानी में ही रहता था, लेकिन ये किसी उपलब्धि से कम नहीं है कि इस लंगूर ने अपने करियर के दौरान एक बार भी ग़लती नहीं की थी। जैक दरअसल चीज़ों को तेजी से सीखने की क्षमता रखता था। जैक अपने मालिक जेम्स के घर का भी ख्याल रखता था। वह कुएं से पानी भर लेता था, घर साफ़ कर देता था, यहां तक की पूरे बाग की भी देखभाल करता था।

जैक जल्दी ही रेलवे स्टेशन पर काफ़ी लोकप्रिय हो गया। लोग अक्सर इस सिग्नल ऑपरेटर के काम को देखकर हैरान हो जाते। लेकिन जब एक महिला ने रेलवे प्रशासन को इस बारे में सूचित किया तो जैक और जेम्स दोनों को नौकरी से निकाल दिया गया। जेम्स ने इस फैसले को चुनौती दी जिसके बाद एक सिस्टम मैनेजर ने जैक की क्षमताओं को परखते हुए उसे जॉब के लिए फ़िट घोषित किया था। जेम्स को अपनी नौकरी वापस मिल गई और जैक को भी दोबारा नौकरी पर रख लिया गया। इसी के साथ जैक दुनिया का पहला ऐसा लंगूर था, जो रेलवे के लिए काम कर रहा था। इस घटना के बाद से ही इस बंदर को ‘जैक द सिग्नलमैन’ कहा जाने लगा।

रेलवे प्रशासन के हर सदस्य को मालूम था कि जेम्स का एक अस्सिटेंट भी है पर कुछ ही लोग जानते थे कि ये अस्स्टिेंट इंसान न होकर एक बंदर है। जैक, जेम्स के साथ करीब नौ सालों तक रहा। इस दौरान उसने रेलरोड पर काम करने के दौरान कभी गलती नहीं की। 1890 में जैक की टीबी की वजह से मौत हो गई।

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