सहारनपुर थाने का निर्माण 1980 मे हुआ था ये बात भी तभी की है। छत डालने के दौरान अचानक से सारा मलबा नीचे गिर गया जिसके नीचे कई मजदूर दब गये जिसमे से 3 मजदूरों को अपनी जान भी गवानी पड़ी। इसके बाद कई ऐसी घटनायें हुई जो जिसने इस थाने को हाॅन्टेड बना दिया जिसने पुलिस वालों को सहमा दिया। अब लोग इस थाने को भुतहा बना दिया। सहारनपुर के पुलिस स्टेशन का थाना हो गया है। जहां पुलिस वाले किसी भी कैदी को बंद नहीं करते है। कि थाने के निर्माण के बाद जिसे भी उस थाने मे रखा गया वह गया तो जिंदा लेकिन सुबह निकला मरा हुआ। इसके चलते बहुत से पुलिसकर्मियों को अपनी वर्दी भी गंवानी पड़ी। अब हालात ये हैं कि इस लाॅकअप में किसी भी कैदी को नहीं रखा जाता है यहां तक की किसी दूसरे लाॅकअप मे भी कैदी को अकेला नहीं रखा जाता है । 1983 में गाेरखपुर के सहारनपुर थाने के लाॅकअप मे दीपू नाम का एक युवक बंद हुआ। ऐसा बताया जाता है।
कि दीपू की पुलिस ने पिटाई करके लाॅकअप में डाल दिया था। सुबह जब देखा गया तो दीपू की मौत हो चुकी थी। पुलिस ने इतनी पिटाई नहीं की थी कि दीपू की जान चली जाये। इस वजह से तीन पुलिस वालो को अपनी नौकरी खोनी पड़ी। इस घटना को सहारनपुर भूल भी नहीं पाया था कि एक और कैदी की जान चली गई। राजू नाम के एक युवक को पुलिस ने पकड़ा और पिटाई करके लाॅकअप मे डाल दिया और सुबह उसकी लाश निकली। इसके बाद कैदी ही नहीं पुलिस वालों के मन में ये डर और अंधविश्वास बैठ गया।ऐसे हर 2003 में जन्माष्टमी को आयेजन किया गया था। सहारनपुर थाने मे आकेेस्ट्रा का आयोजन था। रीना राॅय नाम की आकेस्ट्रा डांसर स्टेज पर थी। जोश मे आकर किसी सिपाही ने फायर किया और गाेली जाकर रीना को लग गई।
रीना की मौत ने बवाल मचा दिया। सिपाही गिरफ्तार हुआ इसके बाद कोई भी पुलिस वाला यह नहीं चाहता था कि उसकी पोस्टिंग यहां हो। सहारनपुर के थाने मे भले ही हनुमाज जी की मूर्ति स्थापना के बाद सबकुछ ठीक मान लिया गया हो लेकिन आज भी यहां के लोग और पुलिसवाले अंधविश्वास से उबर नही पाये हैं। थाने के दीवान ने बताया कि इस थाने के लाॅकअप मे आज भी कोई नहीं रखा जाता है और थाने में कबाड़ और पुरानी फाइल्स भर दी गई है। उन्होंने बताया कि इस लॉकअप के अलावा दूसरे लॉकअप में भी वह लोग किसी अपराधी को अकेले बंद नहीं करते हैं। थाने मे हुई वारदात से पुलिसवालों पूरी तरह अंधविश्वास की चपेट मे आ चुके थे। सबको अपनी नौकरी और वर्दी की चिंता सताने लगी थी। इसके बाद तय हुआ कि हनुमान जी के मंदिर की स्थापना हो। इसके बाद पूरे विधि विधान से थाने में हनुमान जी की मूर्ति स्थापित की गई। शाहपुर थाने पर तैनात पुलिसवाले बताते हैं कि अब उनकी दिनचर्या पूजा के साथ शुरू होती है।