आपने कभी ऐसी घटना के बारे में सुना है कि एक गर्भवती महिला के पेट से बच्चा ही गायब हो गया! जी हां, एक गांव में ऐसी ही अजीबों-गरीब घटना सुनने में आई है कि एक महिला का जब पोस्टमार्टम हुआ तो उसके गर्भ में बच्चा ही नहीं मिला।
जी हां,एक महिला की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत होने के बाद में उसका पोस्टमार्टम करवाया गया। मगर, पोस्टमार्टम में मृतका के गर्भ में शिशु नहीं मिला, जबकि ममता कार्ड में उसकी संभावित प्रसूति की संभावित तारीख 27 अगस्त 2016 लिखी हुई है।
महिला की हृदय रोग संस्थान में जांच कराने के बाद वह रिपोर्ट दिखाने चिकित्सक के पास पहुंची, तो वहां उसकी तबीयत बिगड़ गई। चिकित्सक ने उसकी जांच कर जवाहरलाल नेहरू चिकित्सालय ले जाने को कहा। वहां चिकित्सकों ने उसे मृत घोषित कर दिया।
महिला के मायके पक्ष के लोगों के आने पर पोस्टमार्टम करवाने की बात हुई। जवाहरलाल नेहरू चिकित्सालय में मेडिकल बोर्ड से महिला का पोस्टमार्टम डॉ. अभिजीत, डॉ. पिंकी टांक, डॉ. दिनेश और डॉ. प्रियंका कपूर ने किया। महिला के गर्भवती नहीं होने और बच्चेदानी में गांठ होने की बात सामने आई। इससे उसका पेट फूल गया था।
महिला की उम्र भी 45-50 के बीच बताई जा रही है, जबकि ममता कार्ड में उम्र 26 वर्ष अंकित है। अलवर गेट थाना अंतर्गत विकास विहार कॉलोनी निवासी मोनू गहलोत (35) ने बताया कि उसने दो साल पहले ब्यावर निवासी मंजू अजमेर में उसकी काज-बटन की दुकान में काम करती थी। दो साल पहले दोनों ने मंदिर में शादी की थी।
मृतका मंजू की ब्यावर निवासी मिस्त्री का काम करने वाले शांतिलाल के साथ शादी हुई थी। छह साल पहले शांति लाल की मकान के नीचे दबने से मौत हो गई। मंजू के एक बेटा सोनू (26) शादीशुदा है, जबकि दूसरा बेटा रवि (20) है।
मोनू गहलोत ने बताया कि मंजू के गर्भवती होने पर महिला अस्पताल लेकर गया। मगर, पुरुषों को अंदर जाने की अनुमति नहीं होने की वजह से वह बाहर ही खड़ा रहता था। उसने बताया कि पहचान-पत्र नहीं होने के कारण उसकी सोनोग्राफी नहीं हो सकी।
गुलाबबाड़ी राजकीय डिस्पेंसरी में नया आंगनबाड़ी केन्द्र की आशा सहयोगिनी एवं एएनएम ने 11 जनवरी 2016 को ममता कार्ड बना दिया। हालांकि, उसमें स्वास्थ्य कार्यकर्ता आदि के हस्ताक्षर आदि भी नहीं हैं।