सशि को इस बात का अंदाज़ा था कि सरकार कभी भी सड़कें दुरुस्त नहीं करा सकती हैं। इसलिए अपाहिज सशि ने खुद ही पहाड़ तोड़कर सड़क बनाने का फैसला किया। सशी का एक पैर और हाथ काम नहीं कर रहा था। फिर भी रोजाना कम से कम 6 घंटे तक उन्होंने पहाड़ खोदा। और आज हालात ये है कि वहां 200 मीटर लंबी कच्ची सड़क बनकर तैयार है। और कम से कम इतनी चौड़ी की एक छोटी गाड़ी तो आ जा सकती ही है। अब सशी कहते हैं कि पंचायत मुझे गाड़ी दे या न दे लेकिन कम से कम गांव वालों को सड़क तो मिल जाएगी।