समाज में महिलाओं को हमेशा से ही पुरुषों से कम आंका जाता है। जीवन के हर मोड पर महिलाओं को अपनी इज्ज़त की खातिर ना जाने कितनी चीजों के साथ सम्झौता करना पड़ता है। लेकिन देश में एक गाँव ऐसा भी है जहां महिलाओं को किसी देवी की तरह इज़्ज़त बख्शी जाती है। जी हाँ इस गाँव में महिलाएं राज करती हैं और खुद पुरुष उन्हें ग्राम सभा का सदस्य मनोनीत करते हैं।

दरअसल हम बात कर रहे हाइओन महाराष्ट्र के आनंदवाड़ी गांव की जो आजकल एक बहुत अच्छी बात के लिए चर्चा में है। इस गांव में 165 घर हैं और ये सभी महिलाओं के नाम हैं। एक गांव वाले ने इस बारे में सोचा और उसकी पहल पर ग्राम सभा ने ये नायाब फैसला लिया। वहां के लोगों ने मिलकर इस गांव के सभी घरों को उनकी महिलाओं के नाम कर दिया। महिला सशक्तिकरण का ये एक बहुत अच्छा नमूना है। देखिए यहां की ग्राम सभा के सदस्य क्या कहते हैं।

उन लोगों का कहना है कि जिस तरह हम हर साल देवी लक्ष्मी को अपने घर लाते हैं उसी तरह से हम अपने घर की महिलाओं को भी सम्मान देना चाहते हैं। महिलाओं को किसी अन्य व्यक्ति पर निर्भर रहने की आवश्यकता नहीं होनी चाहिए। जब वो घर संभाल सकती हैं, तो क्यों न वो खुद ही घर की मालकिन हों? इस तरह से लोगों को पुरुषवादी मानसिकता से बाहर आने का भी मौका मिलेगा।” वहीं कुछ लोगों ने आगे बढ़कर अपने खेतों को भी इन महिलाओं के नाम कर दिया है। वहीं दूसरी तरफ़ इन घरों में महिलाओं के नाम की ही नेमप्लेट लगी हुई है साथ ही उनके फ़ोन नंबर भी लिखे हुए हैं। ये लोग कहते हैं कि लड़कियों को जन्म से ही एक बोझ माना जाता है और अब लोगों की सोच बदल रही है।

इतना ही नहीं इस गांव में पिछले साल से सामूहिक विवाह भी आयोजित करवाए जा रहे हैं जिसका खर्च पूरा गांव उठाता है। इससे किसी पिता पर अधिक बोझ नहीं पड़ता। सके अलावा इस गांव की एक और बहुत बड़ी उपलब्धि है। पिछले 15 सालों से ये गांव अपराध मुक्त बना हुआ है। पिछले 15 सालों में यहां एक भी केस दर्ज नहीं किया गया है। इस गांव में 635 लोग रहते हैं। ‘डिस्प्यूट फ़्री विलेज स्कीम’ के तहत इस गांव को भारत के बेस्ट गांव का ख़िताब दिया गया है। इस गांव के बहुत से लोगों ने अंग दान करने का निश्चय किया है और बहुतों ने तो तय किया है कि वो अपना शरीर ही दान कर देंगे जिससे उस पर रिसर्च की जा सके। इसके साथ ही इस गांव में गुटखा और शराब जैसे हानिकारक पदार्थों पर पाबंदी है।

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