जामिया के लोगों के लिए ये एक बिल्कुल ही नया एक्सपीरियंस था। चाहे वो वहां के टीचर हों या फिर वहां के बच्चे। लेकिन आज की तारीख में हर कोई रोशनी के साथ खड़ा है। यहां तक कि जामिया के अंदर मिस्बाह को अलग से पार्किंग की जगह भी दी गई है।
कहती हैं, “जब कभी भी मैं बाहर निकलती हूं, बाइक लेकर हमेशा औरतें, बच्चे सभी चिल्लाने लगते हैं। अच्छा लगता है कि चलो शायद मैं किसी को तो कहीं से थोड़ा भी इंस्पायर कर पा रही हूं।”
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