रज़िया के पिता इल्तुतमिश, कुतुबुद्दीन ऐबक के गुलाम थे. कुतुबुद्दीन की मौत के बाद इल्तुतमिश ने अपनी सल्तनत कायम की। इल्तुतमिश ने यह सुन भी रखा था कि ईरान में महिलाओं को भी शासक बनाया जाता है। इल्तुतमिश के सामने अमीरों की एक पूरी जमात खड़ी थी, जो नहीं चाहती थी कि रज़िया सत्ता में आये। इन्हीं सब झमेलों की बीच 1236 में इल्तुतमिश की मृत्यु हो गई। रज़िया को सुल्तान बनाने के पक्ष में कोई आगे नहीं आया। इसी बीच मौके का लाभ उठाकर रज़िया की सौतेली मां शाह तुर्कान ने अपने बेटे रुकनुद्दीन फ़िरोज़ को दिल्ली की गद्दी पर बैठा दिया।
धीरे-धीरे समय के साथ रुकनुद्दीन शराब और शबाब में खोता गया और जनता में उसके लिए असंतोष बढ़ता गया। एक दिन मौका पा कर रज़िया जुम्मे की नमाज़ के दौरान जामा मस्जिद पहुंच गई। जहां नमाज़ पढ़ने आए हज़ारों लोगों की भीड़ से उसने सत्ता पाने के लिए समर्थन मांगा।