ऐसा पहली बार हुआ था, जब किसी सुल्तान को जनता ने समर्थन देकर चुना था। इसके बाद रज़िया ने अपने विश्वासपात्र याकूत के साथ मिल कर रुकनुद्दीन को मौत के घाट उतार दिया। रज़िया ने गैर इस्लामों के लिए भी उसने बहुत सारे काम करवाए। किसी भी मुसलमान शासक के लिए सबसे बड़ी बात होती उसके शासन को खलीफ़ा द्वारा रजामंदी मिली हुई है या नहीं। 1237 में रज़िया की ये ख्वाहिश भी पूरी हो गई। खलीफा ने रज़िया को एक सुल्तान के रूप में मान्यता देकर उसे वैधता प्रदान कर दी।