नोटबंदी से प्राइवेट सेक्टर के कर्मचारियों की होगी बल्ले-बल्ले , नोट बंदी के बाद जहां एक ओर लोग कैश को लेकर जूझ रहे हैं, वहीं इसका आकलन करने में जुट गए है कि इससे क्या फायदे होंगे और क्या नुकसान होंगे। हर वर्ग अपने-अपने हिसाब से आकलन कर रहा है और चिंतित भी। इसमें सैलरी पाने वाला वर्ग सर्वाधिक सकते में है, खासकर प्राइवेट सेक्टर का कर्मचारी…। दिसम्बर आने में कुछ ही दिन बचे हैं। सबकी नजरें सैलरी पर टिक गई है। इसे लेकर जेहन में कई तरह के सवाल भी उठ रहे हैं। मसलन, सैलरी बैंक में जाएगी, कितनी जाएगी? कब तक जाएगी? क्या सैलरी का कुछ पार्ट कैश मिलेगा? सबसे बड़ी दुविधा इस बात की है कि यदि पूरी सैलरी खाते पर गई, तो फिर कैश निकलेगा कैसे? दरअसल, यह प्रॉब्लम सिर्फ छोटी व मध्यम श्रेणी की कंपनियों के कर्मचारियों की ही नहीं, बड़े सेक्टर के कर्मचारियों के सामने में यह प्रॉब्लम आ सकती है। लेकिन राहत वाली बात ये है कि इस प्रॉब्लम को देखते हुए छोटी-बड़ी हर श्रेणी की कंपनियां सैलरी के पैटर्न में बदलाव करने की रणनीति में जुट गई हैं। कंपनी मैनेजमेंट में इन दिनों सैलरी को लेकर डिस्कशन चल रहा है।

दिसंबर माह में एमएसएमई सेक्टर में सैलरी को लेकर जबरदस्त समस्या हो सकती है। इसकी बड़ी वजह यह है कि एमएसएमई सेक्टर में डेली वेसिस कर्मचारियों की संख्या बहुत ज्यादा है, जिन्हें बतौर सैलरी कैश भुगतान किया जाता रहा है। यदि अगले कुछ दिनों तक कैश का संकट इसी तरह बना रहा, तो दिसंबर में ज्यादातर छोटी कंपनियों में सैलरी देने का संकट पैदा हो सकता है। जानकारों का कहना है कि कई छोटी कंपनियों ने भी अपने वर्कर्स की सैलरी उनके अकाउंट में ट्रांसफर करने की तैयारी कर ली है और अपने अकाउंट्स डिपार्टमेंट को कह दिया है कि वे वर्कर्स के अकाउंट्स की डिटेल ले लें। वहीं, अब तक जिन वर्कर्स का नाम कंपनी के रिकॉर्ड में नहीं है, उन्हें नए वर्कर्स के तौर पर नियुक्त दिखाया जा रहा है। हालांकि अभी यह बहुत कम है, लेकिन कुछ जगह ऐसा हो रहा है। ताकि वर्कर्स को दिसंबर में सैलरी दी जा सके। साथ ही कर्मचारियों को थोड़ा-थोड़ा कैश भुगतान करने की तैयारी भी की जारी है, ताकि उन्हें दिक्कत न हो।

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