गांव में प्रचलित लोककथा के मुताबिक सर्पदंश से एक मौत के बाद नागों के देवता तेजाजी ने सपने में किसी शख्स को मंदिर बनवाने के लिए कहा, गांव में मंदिर बनने के बाद किसी भी व्यक्ति की सांप काटने की वजह से मौत नहीं हुई। काले नाग से जीभ डसवा रहे लोगों को घोडला कहा जाता है साथ ही मान्यता है कि मेले से पहले इनके शरीर में तेजाजी अपना स्थान बनाते हैं।
मेले में पूरा गांव सर्प देवता यानी तेजाजी से आशार्वाद लेता है और फिर काले जहरीले नाग को पूजा-पाठ के साथ छोड़ दिया जाता है। गांववाले दावा करते हैं कि सांप तो दूर किसी जहरीले कीड़े के काटने का मामला भी पिछले 15 साल में सामने नहीं आया है। गांव के लोग इसे चमत्कार कहते हैं।