इस मंदिर में भक्त प्रसाद की जगह चढ़ाते हैं हाथी-घोड़ें

इस मंदिर में भक्त प्रसाद की जगह चढ़ाते हैं हाथी-घोड़ें । जमशेदपुर से करीब 10 किमी दूर सरायकेला मार्ग पर गम्हरिया के पास सड़क के किनारे एक ऐसा मंदिर है, जहां मन्नत पूरी होने पर लोग घोड़ा चढाते हैं। यह घोड़ा असली घोड़ा नहीं बल्कि मिट्टी का होता है। भक्त अपनी मुराद पूरी होने पर मंदिर में यह भेंट करते हैं। आपको बता दें कि,  घोडा बाबा मंदिर में दूर दूर से लोग इनकी भक्ति में लीन होने के लिए और अपनी मुरादे पूरी करने के लिए आते हैं।

यहां किसी भगवान या देवता की पूजा नहीं होती है, बल्कि घोड़ा बाबा की आराधना की जाती है। इसके पीछे उनकी आस्था, श्रद्धा और विश्वास है। 300 साल पहले बनाए गए मंदिर की परंपरा भी इतनी ही पुरानी है। यह परंपरा कैसे शुरू हुई। इसके पीछे भी एक कहानी है।

मान्यता है कि यहां द्वापरयुग में भगवान श्रीकृष्ण और बलराम ने घोड़े पर सवार होकर खेती के लिए इस ग्राम का दौरा किया था और फिर बलराम ने अपने हल से गम्हरिया की धरती पर खेती की नींव रखी थी। भगवान कृष्ण बलराम के जाने के बाद उनके घोड़े गम्हरिया में ही रहने लगे थे। तभी से ही गम्हरिया में घोड़े बाबा की पूजा अर्चना हो रही है।

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