बहुत समय तक मंदिर में महिलाओं का प्रवेश वर्जित था। लेकिन समय के साथ इस दकियानूसी प्रथा का अंत हो चुका है। लेकिन आलम यह है कि वर्तमान में मंदिर का संचालन कर रहीं कुंभकार जाति की महिलाएं मंदिर में प्रवेश नहीं करतीं। इसके पीछे उनकी अलग ही मान्यताएं हैं। हालांकि 18 साल से कम उम्र की लड़कियां इस जगह आ सकती है। मकर संक्राति के दूसरे इस मंदिर मे काफी भीड़ रहती है। हाथी- घोड़ा बाबा के मंदिर दूर-दूर से भक्त यहां आते हैं और मन्नत मांगते हैं। जिनकी मन्नत पूरी हो जाती है वह वह हाथी-घोड़ा भेंट करते हैं।
इस मंदिर की एक खास बात यह है कि यहां पर जो भी प्रसाद केला, नारियल आपको मिलता है उसे आप घर नहीं ले जा सकते हैं। आप को जितना प्रसाद खाना है यहां खाए और अगर नहीं खा सकते हैं तो उसे किनारे रख दें। ताकि उस पर किसी का पैर नहीं लगे।
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