पुराने समय से ही महिलाओं को पुरुषों से कम माना जाता रहा है। लेकिन आज के समय में महिलाओं ने समाज में अपनी एक अलग पहचान बना ली है। किसी भी काम में दुनिया भर की महिलाओं ने अच्छा खासा नाम कमाया है। सड़क पर अगर गाड़ी में किसी महिला को ड्राइव करते देख लेते हैं तो लोग उससे बच के निकलते है क्योंकि उनका मानना है कि महिलाएं अनसेफ ड्राइव करती हैं। लेकिन इस बाद एक सिरे से नकार दिया है मुमताज़ काज़ी ने जो आज भारतीय रेल की एक सफल और देश की पहली महिला ट्रेन ड्राइवर हैं।
आपको बता दें कि मुमताज़ कोई नई चालक नहीं बल्कि कई सालों से मुंबई में ट्रेन चला रही हैं। इतना ही मुमताज़ का नाम लिमका बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकॉर्ड में भी दर्ज है। इनकी एक और ख़ास बात ये है कि ये डीज़ल और इलेक्ट्रिक दोनों तरह के इंजन को चला चुकी हैं। मुमताज़ के पिता रेलवे में थे और उनका बचपन रेलवे कॉलोनी में बीता है। वो बचपन से ही रेलवे में जाना चाहती थीं। मुमताज़ ने बारहवीं के तुरंत बाद एसएससी की परीक्षा दी और वो उसमें सेलेक्ट भी हो गईं। उसी समय रेलवे ने अपनी नीतियों में बदलाव करते हुए एक परीक्षा करवाई जिसमें ड्राईवर के पद के लिए महिलाएं भी आवेदन कर सकती थीं।
बिना मौका हाथ से गंवाए मुमताज़ ने तुरंत ही ये परीक्षा दी और इसे बहुत अच्छे नंबरों के साथ पास भी किया। उनका ड्राईवर के लिए चयन कर लिया गया। लेकिन उनके पिता नहीं चाहते थे कि वो ये नौकरी करें। वो चाहते थे कि वो मेडिकल के क्षेत्र में जाएं। लेकिन काफ़ी मनाने के बाद वो मां गए और मुमताज़ ने ड्राईवर के रूप में रेलवे जॉइन कर लिया।
इस नौकरी की मदद से उनके पिता मुंबई में अपना घर ले सके और उनके दोनों भाई पढ़कर इंजीनियर बने। वो दोनों ही अज विदेश में कार्य कर रहे हैं। मुमताज़ की 2002 में शादी हुई और उनके पति भी एक इंजीनियर हैं। उनके 2 बच्चें हैं और जब वो काम नहीं कर रही होतीं तो अपने बच्चों के साथ समय बिताती हैं। मुमताज़ क़ाज़ी सभी महिलाओं के लिए एक उदाहरण हैं और ये साबित करती हैं कि अगर एक महिला कुछ करने की ठान ले तो कुछ भी कर सकती है।