उड़ीसा के भुवनेश्‍वर में रहने वाली ट्रायबल लोगों के लिए यह रोजी का जरिया भी बन गया है। इस साल मई में यूरोप की होटल्‍स ने उड़ीसा से पत्‍तलों के आयात की डील की थी। डील करने वाली जर्मन कंपनी के वरिष्‍ठ अधिकारी के अनुसार क्‍लाइमेट चेंज के लिए किए गए पेरिस एग्रीमेंट में लंबे समय के पर्यावरण स्‍थायित्‍व की बात कही गई है।

इस बीच एक जर्मनी कंपनी ने भी अपने स्‍टार्टअप के माध्‍यम से पत्‍तों से बनी पत्‍तलों को बाजार में उतारा है और इसके बाद इनकी बिक्री में तेजी से बढ़ोतरी हुई है। आलत यह है कि बाजार में इन पत्‍तलों की इतनी डिमांड है जि‍से पूरी करने में कंपनी को काफी पसीना बहना पड़ रहा है।

जर्मन कंपनी जो प्‍लेट्स बना रही है वो तीन परतों में बनती है। जिसमें उपरी और निचली परत पत्‍तों की होती है वहीं बीच की परत कार्टोन जैसा म‍टेरियल होता है। इससे बनने वाली प्‍लेट वॉटरप्रूफ होने के साथ ही माइक्रोवेव में भी उपयोग की जा सकती है और इनकी उम्र एक साल की होती है। यूज होने के बाद इन्‍हें कहीं भी डिकम्‍पोज होने के लिए डाल दिया जाता है और एक महीने में ही यह गलकर डिकम्‍पोज हो जाती हैं।

 

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