नोटबंदी का असर आपकी बैंक FD और EMI पर , काले धन पर लगाम लगाने के लिए 500 रुपए और 1000 रुपए के नोटों पर सरकार द्वारा बैन लगाने के फैसले से देश की अर्थव्यवस्था पर निकट भविष्य में बुरा असर पड़ सकता है, यह कहना है विश्लेषकों का। लेकिन, लंबे समय में ये कदम आर्थिक रूप से नफे का सौदा साबित होगा। उनके अनुसार, इससे अधिक पारदर्शिता आएगी और टैक्स रेवेन्यू बढ़ेगा। साथ ही मुद्रास्फीति भी कम होगी।

बैंक डिपॉजिट में वृद्धि होने, आरबीआई द्वारा ब्याज दरों में कटौती की संभावनाओं और वीक लैंडिंग एक्टिविटी के चलते बैंक के फिक्स्ड डिपॉजिट रेटों पर दबाव पड़ सकता है। कम जोखिम लेने वाले निवेशकों को अधिक मच्यॉरिटी वाली एफडी में पैसा जमा करवा सकते हैं यदि वे रिकरिंग मंथली या सालाना इनकम चाहते हैं। या फिर उन्हें लॉन्ग टर्म के डेट म्यूचुअल फंड्स की ओर रुख करना चाहिए यदि वे गिरती हुई ब्याज दरों का लाभ लेना चाहते हैं तो। डेट और बॉन्ड मार्केट को हमेशा गिरती हुए ब्याज दरों के ट्रेंडिग सर्कल का लाभ मिलता है।

नोटबंद का असर लोन पर लगने वाले चार्ज और आपकी फिक्स्ड डिपॉजिट पर मिलने वाले ब्याज पर भी पड़ सकता है। विश्लेषकों का कहना है कि जो लोग होम लोन और ऑटो लोन लिए हुए हैं, उनके लिए इस नोटबंदी का सकारात्मक असर पड़ सकता है। देश का सबसे बड़ा बैंक स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (एसबीआई) पहले ही नए होम लोन्स पर ब्याज की दर छह साल के सबसे निचले स्तर पर ला चुका है।

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