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कभी आपने सोचा है कि लाशों का पोस्टमॉर्टम कैसे होता है? कभी आपने पोस्टमॉर्टम हाउस देखा है? आज हम आपको बताते हैं रंजीत बाल्मीकी के बारे में, जो अपना आधे से ज़्यादा समय पोस्टमॉर्टम हाउस में बिताते हैं।

झांसी जिले के पोस्‍टमॉर्टम हाउस में काम करने वाले शख्‍स रंजीत बाल्‍मीकि ने बताया कि पोस्टमॉर्टम हाउस में किस तरह से उनकी लाइफ नर्क जैसी होती है। उठते-बैठते, सोते-जागते सिर्फ लाश ही नजर आती है।

पिछले 13 साल से पोस्टमॉर्टम हाउस में लाशों के बीच रह रहे रंजीत अब तक करीब 23 हजार लाशों के पोस्टमॉर्टम कर चुके हैं।उन्‍होंने बताया, डॉक्‍टर के आने से पहले मैं लाशों का चीर-फाड़ करता हूं, जिसके बाद मैं पूरी तरह खून से लतपथ हो जाता हूं। इस काम के बाद जब मैं घर पहुंचता हूं तो बच्चे दूर भागते हैं। साथ में खाना तक नहीं खाते।
यही नहीं, रात में कई बार पत्नी डरकर मुझे भूत समझ बैठती है।

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