पौधों को चढ़ाई जा रही है ग्लूकोज़ की बोतल, अदभुत परिणाम , रतनगढ़ में ग्लूकोज की बॉटल इंसान को ताकत देती है, मगर खाली होने के बाद अनुपयोगी हो जाती है और इन्हें भंगार में फेंक दिया जाता है, लेकिन रतनगढ़ में ग्लूकोज की खाली बॉटल भी पौधों के लिए जीवनदायनी साबित हो रही है। इन बॉटल की मदद से वन विभाग ड्रीप पद्धति के जरिए पौधों की सुरक्षा कर रहा है।

लगभग आधे से ज्यादा पौधों पर ग्लूकोज की खाली बॉटल स्लाइन के साथ टांगी। अब इन्हीं में पानी भरकर पौधों की सिंचाई की जा रही है। इसके कारण पौधों के जीवित होने का आंकड़ा शत-प्रतिशत है। टैंकर से सिंचाई की मशक्कत भी कम हुई है। वन विभाग तीन से चार दिन में इन पौधों पर टंगी बॉटल में पानी भरता है।

जिला मुख्यालय से लगभग 55 किमी दूर रतनगढ़ टप्पा तहसील मुख्यालय है। घाट क्षेत्र होने के कारण क्षेत्र की अधिकांश जमीन बंजर और वीरान रहती है। इस बार वन परिक्षेत्र के अधिकारियों ने यहां नया प्रयोग किया है।

वन परिक्षेत्राधिकारी पीएल गेहलोत और टीम ने अगस्त 2016 में गुंजालिया तथा कांटिया बालाजी मंदिर के समीप करीब दो हेक्टेयर भूमि पर 1020 पौधे रोपे। पानी की कमी और सिंचाई के अभाव को देखते हुए वन विभाग ने नया तरीका अपनाया।

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