इस बीच उन्होंने भी मलिन बस्ती और फुटपाथ पर कुछ ऐसे बच्चे और देखे, जो दिवाली पर दूसरों की खुशियों को देखकर ही मन बहला रहे थे। उनके मन में कुछ कसक सी महसूस हो रही थी। बेटी की बात और इन बच्चों के चेहरों के भाव उनके दिल में घर कर गए। उन्होंने तय किया कि वो ऐसे लोगों के साथ दिवाली मनाएंगे, जिनके घर में एक दीया तक नहीं जलता।
यह बात दोस्तों को बताई और कुछ ही देर में मिठाई लेकर वह ऐसे बच्चों के साथ दिवाली मनाने निकल पड़े। अब लगातार पिछले तीन साल से वह वो रात को पूजन के बाद मिठाई, गिफ्ट, मोमबत्ती और आतिशबाजी लेकर शहर में निकलते हैं।
जहां भी उन्हें ऐसे लोग मिलते हैं जिनकी जीवन में रोशनी के रंग नहीं हैं, उनके साथ वो त्योहार की खुशियां बांटते हैं। झुग्गी में रहने वाले करीब 40 बच्चों को दिवाली की रात सागर और उनके दोस्तों का इंतजार रहता है। बच्चों के लिए ये लोग आतिशबाजी, मिठाई और कपड़े ले जाते हैं।