लेकिन लगभग 4 महीने पहले सितंबर 2016 में मां शबाना बीमार पड़ गई और उसकी मौत हो गई। इससे बीमार पिता और शहजादी पर दुखों का पहाड़ टूट गया। सभी आवक बंद हो जाने से उन्हें किराए का मकान छोड़कर बेघर होना पड़ा। इससे शहजादी की पढ़ाई बीच में ही रुक गई। अब उस पर बीमार पिता की जिम्मेदारी भी है। लिहाजा वह सिविल लाइन स्थित ब्रर्जेस स्कूल के सामने फुटपाथ पर रहकर भीख मांगती है और उसी से बाप-बेटी का गुजारा चल रहा है। इसके बाद भी शहजादी के सपने अभी खत्म नहीं हुए हैं। वह अपना बस्ता साथ ही रखती है और पुस्तक, स्लेट निकालकर पढ़ाई करती है। मासूम शहजादी का कहना है कि वह आगे भी पढ़ना चाहती है। पिता के ठीक होने के बाद वह फिर से पढ़ाई शुरू कर आगे बढ़ने की बात कहती है।

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