स्कूल और कॉलेज की किताबी पढ़ाई किसी के अंदर का हुनर नहीं छीन सकती क्योंकि हुनर किसी चीज़ का मोहताज नहीं होता। कुछ ऐसा ही हुनर है बनारस के इस किसान के पास जिसने दसवीं की परीक्षा में सफल ना होने पर अपने जीवन को नया मोड दिया और खेती में ही अपना करियर बनाने का फैसला किया और आज इनकी स्किल्स के आगे कृषि वैज्ञानिक भी हैरान हैं। जी हां हम बात कर रहे हैं जयप्रकाश सिंह की जिनके हाथों से अब तक गेंहू के बीजों की 120 वरायटी के साथ अरहर की 50 वरायटी और धान की 480 वरायटी निकाली जा चुकी हैं। इतना ही नहीं अपने इस योगदान के लिए इन्हें दो बार राष्ट्रपति के हाथों भी सम्मानित किया जा चुका है। जेपी का दावा है कि अगर सरकार किसानों को उन्नतशील बीजों को मुहैया कराने के साथ ईमानदारी से मार्गदर्शन करें तो खेत फिर सोना उगलेंगे।

आपको बता दें कि जेपी सिंह के पास कृषि विज्ञान में कोई डिग्री नहीं है लेकिन आज वह अनुभव से किसान कम साइंटिस्ट ज्यादा हो गए हैं। खेतों में कुछ नया करने के जुनून के बारे में वह ईमानदारी से बताते हैं कि हाईस्कूल फेल होने के बाद उन्हें समझ में नहीं आ रहा था कि आगे क्या करें। इसको लेकर काफी मंथन के बाद उन्होंने फैसला किया कि खेतों में ही कुछ नया करेंगे। सिंह बताते हैं कि उन्होंने गांव के बुजुर्गों से पूछा कि जब यूनिवर्सिटी नहीं होती थी तो खेती-किसानी के लिए अच्छे बीज को कैसे चुना जाता था। बुजुर्गों ने जो फसल में से अच्छी बीज चुनने के पारंपरिक तरीके के बारे में जानकारी दी, उसके बाद वह इसी काम में जुट गए। सिंह कहते हैं, ‘दस साल हो गए यही काम करते-करते। किसानों के खेतों के लिए उन्नत बीज बनाने की राह में चुनौती पर चुनौती आती रहीं लेकिन हार न मानने की जिद आज भी कायम है।’

बीजों का जादूगर बन गए जेपी सिंह आज यूपी में बीज प्रमाणीकरण बोर्ड में शोध सलाहकार के तौपर पर काम कर रहे हैं। कृषि वैज्ञानिकों के बीच जब वह कोई सलाह देते हैं तो सब गौर से सुनते हैं। बड़े पैमानों पर बीजों को तैयार करने में लगे जेपी से जब एनबीटी ने पूछा कि कितनी आमदनी हो जाती होगी, तो उन्होंने हंसते हुए कहा, ‘मैं इसी से खुश हूं कि मेरे जैविक पद्धति से तैयार बीज किसानों के खेतों में लहलहा रहे हैं। वही मेरा धन है। मैं डिमांड के मुताबिक बीज तैयार नहीं कर पा रहा हूं।’

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