ट्रिप के लिए यूज होने वाले रॉकेट का जितनी ज्यादा बार उपयोग करेंगे उतना ही बेहतर होगा। ऐसे में अगर रीयूजेबल रॉकेट्स टेक्नोलॉजी को विकसित कर लिया जाए तो टिकट की कीमत पर काफी असर पड़ेगा। इसका किराया घटकर 1.4 करोड़ रुपए तक आ जाएगा। मस्क ने कहा, उनकी टीम रीयूजेबल और सस्ते स्पेसक्राफ्ट को डेवलेप करने पर फोकस कर रही है। स्पेस एक्स ऐसे ट्रांसपोर्ट सिस्टम डेवलप कर रही है जिसके तहत स्पेसक्राफ्ट के टॉप पर रीयूजेबल पावर बूस्टर और 2 रॉकेट्स को फिट किया जाएगा। इसकी लंबाई बोइंग 747 से दोगुनी होगी।