सुभ के पिता और मां ने बताया कि सरकार छत्तीगढ़ को खुले में शौच मुक्त करना चाहती थी। इसके लिए प्रशासन और पंचायत द्वारा नियमित रूप से उन लोगों को बेइज्जत किया जाने लगा जो खुले में शौच करते थे। ऐसे में लोगों ने घर में टॉयलेट बना लिया। कहा गया था कि 15 हजार रुपए सरकार की तरफ से प्रोत्साहन राशि के रूप में मिलेंगे। लेकिन कुछ भी नहीं दिया गया। टॉयलेट बनवाने के लिए खंडे परिवार ने देनदारों से पांच प्रतिशत के ब्याज दर पर 20 हजार रुपए लिए। जिसके बदले में उन्हें 32 हजार रुपए देने हैं।