परवीन के किराएदार ऑटो चालक मोहम्मद अरमान को राजू बरौनी में भटकते मिला और उसे काम देने की मांग की थी। काम मिलने के बाद वह उसके साथ उसके घर में रहने लगा। अचानक एक दिन परवीन ने चाय पीने के दौरान राजू को देखा तो वह उसे पहचान गई, लेकिन राजू अपनी मां को पहचान नहीं पाया। परवीन ने उसे फोटो एलबम दिखाया और बचपन के दोस्तों को दिखाया तब जाकर उसे याद आया और उसने अपनी मां को पहचान लिया।
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