गे,लेस्बियन और उभयलिंगी लड़कों व लड़कियों में सामान्य की तुलना में खाने की असमान्य प्रवृत्ति का विकास हो रहा है। खाने की आदत में आ रहा यह बदलाव उनके भोजन करने के अस्वास्थ्यकर तरीकों की तरफ इशारा करता है। एक नए रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ है। हालांकि उनके खाने की आदतों की पहचान किसी फिजिशियन के द्वारा नहीं की गई है। लेकिन इसके बाद भी उनके खाने की आदत से उन्हें नुकसान होना तय है।

एक अध्ययन में यह बात भी सामने आई है कि ऐसे लोग लेक्जेटिव, डाइट पिल्स और जल्दी वजन घटाने वाली दवाओं का इस्तेमाल ज्यादा कर रहे हैं। शोधकर्ता ने यह भी पाया है कि लेस्बियन पेट साफ करने के लिए दो बार शौचालय जाते हैं और अपना वजन काबू में करने के लिए उपवास भी रखते हैं। यह अध्ययन 12 से 18 साल के किशोरों पर किया गया है। इससे पता चलता है कि खाने की असामान्य प्रवृत्ति में सेक्सुअल माइनॉरिटी किशोरों और सामान्य किशोरों में अंतर है।

इंटरनेशनल जर्नल ऑफ इटिंग डिसॉर्डर में प्रकाशित अध्ययन में शोधकर्ताओं ने कहा है कि गे लेस्बियन और समलैंगिक लोगों में खाना खाने की दर असामान्य रूप से बढ़ी है। जो उनके लिए खतरे की घंटी है। इसके बावजूद, वैंकुवर के ब्रिटिश कोलंबिया विश्वविद्यालय के शोधकर्ता रियान वाटसन कहते हैं, “विषमलिंगी युवाओं में खाने की असामान्य प्रवृत्ति की दर में सुधार देखने को मिलता है, जबकि सेक्सुअल माइनारिटी युवाओं में कोई खास फर्क नहीं आता।”

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