लड़कियां भले ही कितने ही दावे क्यों ना कर लें लेकिन अपने बारे में ये बाते तो उन्हे खुद भी नहीं पता होगी जो आज हम आपको बताने जा रहे हैं।

अक्सर आपने लोगों को कहते सुना होगा कि लड़कियों को समझना बेहद मुश्किल काम हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि ये काम सिर्फ लड़को के लिए ही नहीं खुद कई बार लड़कियों के लिए भी काफी मुश्किल हो जाता है। आप सोच रहें होंगे कि ये हम कैसी बात कर रहें हैं। आपको ये जानकर बेहद हैरानी होने वाली है कि अपने बारे में ऐसी बहुत सी बातें होती हैं जो लड़कियां खुद नहीं जानती।

आइए जानते हैं आखिर क्या हैं ये खास बातें

अच्छी डिटेक्टिव
लड़कियों को अपने बारे में ये बात बिल्कुल नहीं पता होती कि वक्त पड़ने पर वो किसी प्रोफेशनल जासूस से भी अच्छा काम करती है। जैसे अगर उन्हें अगर कोई लड़का पसंद होता है तो उसे अपना दिल देने से पहले ही वो उस लड़के के बारे में उसकी पूरी पड़ताल कर लेती हैं।

दूसरों के साथ तुलना पंसद नहीं
लड़कियों को ये बात बिल्कुल पंसद नहीं होती कि कोई उनकी तुलना किसी दूसरी लड़की से करे। वो अपने मुंह से इस बात को कभी नहीं कहेंगी। बावजूद इसके अगर आप ऐसा करते हैं तो आप उन्हें अनजाने में ही सही नाराज कर सकते हैं।

प्यार करने से डरती हैं
लड़कियां अक्सर किसी को अपना दिल देने से पहले सोचने के लिए काफी समय लेती हैं हालांकि वो ऐसा क्यों करती हैं ये उन्हें भी नहीं पता होता। आपको बता दें कि वो ऐसा इसलिए करती हैं क्योंकि उनके दिल में कई तरह के डर होते हैं जिन्हें वो अपने चेहरे पर नहीं आने देती।उन्हें लगता है की कहीं उनके साथ प्यार में कहीं धोखा न हो जाए।

इसके अलावा वो सामने वाले इंसान से ये भी चाहती हैं कि अगर उसे उनके बारे में कुछ पता करना हैं तो वो सीधा उन्हीं से पूछ ले। अपने हिसाब से उनके बारे में कोई राय ना बनाने लगे। .

धोखे से टूट जाती हैं लड़कियां
लड़कियां खुद को कितनी भी बोल्‍ड और डेयरिंग कह लें लेकिन वो काफी इमोशनल होती हैं। वो जब पहली बार किसी से दिल लगाती हैं तो उस रिश्ते को पूरी ईमानदारी से निभाती है। बावजूद इसके अगर उन्हें प्यार में धोखा मिल जाएं तो वो पूरी तरह टूट जाती हैं। फिर वो लाख चाहे तब भी पहले जैसी नहीं बन सकती। दिल टूटने के बाद वो किसी भी रिश्ते पर विश्वास करने से पहले उसकी सच्चाई तक जाती है।

बोलने से ज्यादा इशारों में बात करना पंसद
लड़कियों को जब कभी अपने दिल की बात किसी को बतानी होती है तो वो बोलने से ज्यादा इशारों में बात करना चाहती है। लेकिन इसके विपरीत जब उनका मूड खराब होता है तो वो चाहती हैं कि वो कम से कम बात करें या फिर चुप ही बैठी रहें।

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