चारों उंगलियों के सबसे आगे के भाग में वतीर्थ है, इसके बाद तर्जनी के मूल भाग में पितृ तीर्थ समाया है, कनिष्ठा के मूल भाग में प्रजापति तीर्थ है और अंगूठे के मूल भाग में ब्रह्मतीर्थ का वास माना जाता है। इसी तरह दाहिने हाथ के बीच में अग्रि तीर्थ समाया है और बाएं हाथ के बीच में सोमतीर्थ का वास है। इसके साथ ही अंगुलियों के सभी पोरों और संधियों में ऋषितीर्थ भी है। हिन्दू धर्म में हमेशा से ही तीर्थों का दर्शन शुभ माना गया है। इसलिए सुबह-सुबह यदि इन सभी के ही एक क्षण में दर्शन हो जाएं तो यह कल्याणकारी माना गया है।

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