दमा एक बहुत ही गंभीर बीमारी है। बरसात के दिनों में इससे पीड़ित लोगों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। लेकिन इस बीमारी का एक आयुर्वेदिक इलाज देश के ही एक कोने में किया जाता है। लेकिन इस इलाज में एक ज़िंदा मछली निगलनी पड़ती है। यह ट्रीटमेंट हैदराबाद में एक आश्रम में किया जाता है।

दरअसल छोटी जीवित मछली पर पीले रंग की लेप लगायी जाती है इस लेप को बनाने वाले इसमें एक निश्चित सूत्र के पालन का दावा करते हैं। बाथिनी गौड़ परिवार दावा करता है कि यह सूत्र वर्ष 1845 में उनके पूर्वजों को किसी संत ने बताया था। तब से लेकर आज तक उस सूत्र के इस्तेमाल से यह परिवार दमा पीड़ितों का उपचार करता आया है।

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