आरा मछली अगर नहीं देखी तो समझिए कुछ भी नहीं देखा , महाराष्ट्र के सिंधुदुर्ग जिले के विजयदुर्ग में सोमवार को समुद्र में मछली पकड़ते वक्त एक मछुआरे के जाल में विशाल मछली फंस गई। करीब 15 फीट लंबी इस मछली के ब्लैड की तरह बत्तीस दांत बाहर की ओर निकले थे। 700 किलो वजनी इस मछली को सॉफिश (आरा मछली) या कारपेंटर शार्क के नाम से जाना जाता है।

कोच्चि के कुछ संरक्षणकर्ताओं ने इन्हें बचाने के लिए अभियान भी शुरू किया है। वे मछुआरों, विक्रेताओं को इसकी विलुप्तता के बारे में अवगत कराते हैं। 70 प्रतिशत ऐसी मछलियों को बिना नुकसान पहुंचाए पानी में छोड़ दिया जाता है। लेकिन पैसे के लालच में कई मछुआरे इन्हें बेच देते हैं।

इसका मुंह आगे तक बढ़ा हुआ होता है और इसके दोनों ओर नुकीले दांत इस तरह होते हैं कि वे आरी की तरह लगते हैं। इसलिए इसे आरा मछली कहते हैं। यह भारत, ईरान, श्रीलंका, बांग्लादेश, मलेशिया, म्यांमार, इंडोनेशिया और पापुआ न्यू गिनी के पानी में पाई जाती है। भारत में यह वेरावल, मुंबई, मगलुरु, कोच्चि, चेन्नई और विशाखापत्तनम में पाई जाती है।

इसकी कुल सात प्रजातियां हैं, जिनमें से चार भारत में पाई जाती है। इन सभी को लाल सूची में रखा गया है। चोंच, गलफड़ों और लिवर ऑइल के लिए इसका शिकार किया जाता है।  सॉफिश की सभी प्रजातियां विलुप्तप्राय घोषित हैं। एक समय यह भारत में बहुतायत में पाई जाती थी, लेकिन अब इनकी आबादी तेजी से गिरी है।

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