हमारे देश में कई ऐसे इलाकें है जहां लोग हर चीज के लिए नदियों पर निर्भर रहते हैं लेकिन अपने देश में एक जगह ऐसी भी है जहां की नदीयां बरसात के समय में सोना उगलती हैं और यही वजह है की यहां के लोग भगवान से बाढ आने की दुआ करते हैं।

बिहार के पश्चिमी चंपारण जिले के रामनगर इलाके के कुछ गांवों के लोगों को हर साल मानसून में सोना मिलता है। यह सोना उन्हें कोई देने नहीं आता है बल्कि यह धातु नदियां उगलती हैं। बताया जाता है कि ये नदियां बलुई, कापन और सोनहा हैं जो हर साल अपने साथ सोना बहाकर लाती हैं। इनके पानी से सोना छानकर इन गांवों के लोग साल भर की रोजी-रोटी का जुगाड़ कर लेते हैं। लेकिन यह काम इतना आसान नहीं होता है।

बिहार में मानसून के समय बाढ़ हमेशा बड़ी समस्या रही है। ये नदियां भी इस मौसम में खूब उफनाती हैं। गांव के लोग बाढ़ कम होने का इंतजार करते हैं जब पानी कम हो जाता है तो कुछ खास उपकरणों के साथ नदी में उतर जाते हैं। और वह नदियों द्वारा बहाकर लाई बालू और कणों को छानकर सोने के कण निकालते हैं फिर उसे बाजार में बेचते हैं। यह काम इन इलाकों में काफी सालों से होता आया है।

पहाड़ी नदियों से सोना निकालने का काम आदिवासी कई पीढिय़ों से कर रहे हैं और इसकी वजह से ये लोग गरीबी से लड़ने का हौसला जुटा पाते हैं और मुश्किल समय में यही सोना इनके काम आता हैं।

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