जब से मोदी जी ने नोट बंदी का ऐलान किया है तब से देश भर में बैंकों के बाहर घमासान मचा हुआ है। लंबी लाइनों में घंटों इंतज़ार के बाद भी मशीनें खाली पड़ी हुई हैं। चारों तरफ मारा मारी का माहौल है। टेलिविजन से लेकर अखबारों तक में आम जनता की परेशानियों को दिखाया जा रहा है। लेकिन क्या आपको ज़रा भी अंदाज़ा है, कि इस पूरी कवायद में करीब 40,000 ट्रक ड्राइवर, कस्टोडियन और सिक्यॉरिटी गार्ड्स दिन रात काम करके हमारी और आपकी मदद में लगे हुए हैं। ये लोग दिन-रात नागरिकों की सुविधा के लिए हर वक्त डटे हुए हैं। 8 नवंबर को नोटबंदी के बाद से ही इन लोगों को अपने घर से दूर रहकर कठिन परिस्थितियों में लगातार काम करना पड़ रहा है।
हालांकि इनमें से ज्यादातर लोग ऐसे हैं, जो कठिन स्थिति में काम करने के बाद भी मानते हैं कि वह समाज में बड़े बदलाव के लिए काम कर रहे हैं। अमृतसर के हरीश पालीवाल के दो छोटे-छोटे बच्चे हैं, जो उनके घर लौटने का इंतजार कर रहे हैं। लेकिन, वह कहते हैं कि उन्होंने अपने परिवार को कहा है कि वह ‘मोदीजी’ के टास्क को अंजाम देने के बाद ही लौटेंगे। कैश वैन के साथ चलने वाले पालीवाल कहते हैं, ‘यह एक सर्जिकल स्ट्राइक की ही तरह है, लेकिन इस बार काला धन के खिलाफ की गई है।’