डॉ. मुकेश ने बताया कि इस बीमारी को हाईडेटिड सिस्ट कहा जाता है। यह वायरस कुत्तों के संपर्क में आने से इंसान के शरीर में प्रवेश करते हैं और फेफड़े, लीवर व मस्तिष्क को प्रभावित करते हैं। यह मस्तिष्क में प्रवेश कर शरीर को पैरालाइज कर देते हैं। इन अंडों को शरीर से निकालना बेहद मुश्किल होता है। अगर इन्हें निकालते समय यह टूट जाएं तो सैकड़ों नए अंडे विकसित होकर शरीर को क्षति पहुंचा सकते हैं। उन्होंने बताया कि जब गुल को अस्पताल लाया गया था।
तब वह न तो चल पा रहा था और न ही उसके अंग काम कर रहे थे। जांच में गुल के दिमाग के अंदर 4 सेंटीमीटर के औसत आकार वाले 16 पानी के बुलबुले जैसी कीड़ों भरी थैलियां पाई गईं। ऑपरेशन के बाद ठीक हुआ गुल मोहम्मद अब पढ़ाई के लिए फिर से यूनिवर्सिटी जाने की तैयारी कर रहा है।
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