दुनिया भर के कई देशों में टिनेटस के मरीजों को संख्या लगातार बढ़ रही हैं। आम तौर पर बुढ़ापे में सामने आने वाली यह बीमारी अब नौजवानों में भी नजर आने लगी है। डीडब्लू की खबर के अनुसार, यह कान और सुनने की क्षमता से जुड़ी बीमारी है। बिना किसी बाहरी आवाज के भी टिनेटस के मरीजों को कान में हमेशा सीटी जैसी या फिर हिस्स्स की आवाज सुनाई पड़ती है। साओ पाउलो मेडिकल स्कूल के वैज्ञानिकों के मुताबिक, हेडफोन पर तेज आवाज में म्यूजिक सुनने से कान पर बुरा असर पड़ता है। कान की नाजुक ‘कॉकलियर कोशिकाएं’ क्षतिग्रस्त होने लगती हैं। ये कोशिकाएं ध्वनि में मौजूद अगल अलग आवृत्ति के कंपनों को दर्ज करती है।

लेकिन आवाज बहुत तेज हो और देर तक रहे तो ध्वनि कंपन इन कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाता है। कभी कभार तेज आवाज सुनने से होने वाला नुकसान कान सह लेता है। लेकिन हेडफोन पर हर वक्त तेज म्यूजिक सुनने से ‘कॉकलियर कोशिकाएं’ हमेशा के लिए क्षतिग्रस्त हो सकती हैं। पहले टिनेटस होगा और फिर पूरी तरह बहरापन। साओ पाउलो मेडिकल कॉलेज के डॉक्टर टानिट गांज सांचेज के मुताबिक, अगर किशोरावस्था से लेकर 20-25 साल की उम्र तक खूब तेज म्यूजिक सुना जाए तो स्थायी बहरेपन के खतरे से सामना हो सकता है।

हर समय कान में हेडफोन या ईयरफोन लगाए रखने वाले नौजवान तकरीबन हर देश में मिल जाते हैं। डॉक्टरों के मुताबिक आम तौर पर कान में समस्या नहीं होती है, लेकिन टिनेटस हो गया तो समझिये कि आपकी दुनिया ध्वनिहीन हो जाएगी।

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