इस बच्चे की हसी कही ले ना जाए आपकी जान, देखें वीडियो। बच्चों को देखकर अक्सर बचपन याद आ ही जाता है। जिस किसी ने भी अपने बचपन में शरारत नहीं की, उसने अपने बचपन को क्या खाक जीया होगा, क्योंकि ‘बचपन का दूसरा नाम’ ही शरारत है। शोर व उधम मचाते, चिल्लाते बच्चे सबको लुभाते हैं और हम सभी को भी अपने बचपन की बाते याद हो दिलाती है। खुशी के पल बच्चे कही से भी ढ़ूंढ निकालते है। बच्चे किसी के भी साथ खुशी के पल खोज निकाल कर खुद तो खुश होते ही है दुसरो के होंठो पर भी मुस्कान दे जाते हैं।

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