आज 12 अक्‍टूबर को विश्‍व अर्थराइटिस डे है और अर्थराइटिस से जुड़ी आज हम आपको ऐसी बात बताने जा रहे हैं जिसका सीधा संबंध आपकी सेक्सुअल लाइफ से है।

क्या आप जानते हैं कि अर्थराइटिस से आपकी सेक्सुअल लाइफ पर क्या असर पड़ता है? अगर आपको नहीं पता तो आज विश्‍व अर्थराइटिस डे पर आपको बताते हैं कि अर्थराइटिस सेक्सुअल लाइफ को कैसे प्रभावित करता है?

अर्थराइटिस यानी हड्डी रोग होने पर खून में इंटरल्‍यूकिन नाम का खतरनाक लिक्‍विड की मात्रा बढ़ जाती है। इस वजह से पुरुषों में स्‍पर्म की संख्‍या कम हो जाती है और उनकी सेक्सुअल पावर घट जाती है। लिहाजा मरीजों में माता-पिता बनने की क्षमता घट जाती है। जोड़ों में दर्द, अकड़न और सूजन जैसी बीमारी अर्थराइटिस के लक्षण में शामिल है।

विशेषज्ञों के अनुसार, अर्थराइटिस होने पर लोगों में सेक्‍स के प्रति रुचि खत्‍म होने लगती है। यह महिला और पुरुष दोनों को नजदीक आने के लिए मानसिक रूप से तैयार नहीं होने देता है। मानसिक रूप से तैयार होने के बाद भी संभोग करने के दौरान असहनीय दर्द महसूस होता है।

लखनऊ के केजीएमयू (किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी) के आर्थोपेडिक विभाग के वरिष्‍ठ डॉ. अजय सिंह से बात बताते हैं, मरीजों को डॉक्‍टर की सलाह पर दवा लेनी चाहिए। इसकी दवा लंबे समय तक चलती है, जिसे बीच में ब्रेक नहीं करना चाहिए।  इस बीच योगा का भी सहारा लेना चाहिए।

केजीएमयू के आर्थोपेडिक विभाग ने अर्थराइटिस का सीधा प्रभाव कम करने के संबंध में एक शोध किया। इसमें घुटने की तकलीफ से पीड़‍ित 159 मरीजों को लिया गया, उन्‍हें 2 ग्रुप में बांट दिया गया। एक ग्रुप के मरीजों को स्‍टैंडर्ड दवा दी गई, जबकि दूसरे ग्रुप को दवा के साथ योग भी कराया गया। इस दौरान यह पाया गया कि केवल दवा लेने वाले मरीजों में इंटरलेक्‍यूकिन द्रव्‍य अधिक पाया गया। जबकि दवा और योग वाले मरीजों में 3 से 6 महीने के दौरान यह द्रव्‍य की मात्रा काफी कम पाई गई।

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