इन मछुआरों की गिरफ्तारी को लेकर पाकिस्तान ने कहा कि सुरक्षा कारणों की वजह से ऐसा करना पड़ता है। पाकिस्तान गिरफ्तार मछुआरों के साथ साथ उनकी नाव भी हड़प लेता है। पाकिस्तान की जेलों में 554 से भी अधिक मछुआरे यातना भोग रहे हैं। इनकी रिहाई के लिए प्रशासन निष्क्रिय सा है। नेशनल फिश वर्क्स फ्रॉटम के सेक्रेटरी मनीष लोढ़ा के अनुसार इससे मत्स्योधोग को करोड़ों का नुकसान हो रहा है।
पाकिस्तान की सरकार ने 2016 में 22 बोट और 472 मछुआरों को रिहा करने का निर्णय किया था, किंतु सर्जिकल स्ट्राइक के कारण यह नहीं हो पा रहा है। पोरबंदर के मछुआरों के प्रतिनिधि अनिल मोतीवरसे ने बताया कि पाकिस्तान जाने पर भारत के उच्चायुक्त पीके जैन और विजयकुमार के साथ भारतीय बोट की वासी के लिए चर्चा की थी। उसके बाद अभी तक इस बारे में कार्यवाही नहीं हुए।
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