दुबारा से उसने बालू खाना शुरू किया तो वह फिर से ठीक हो गई। उसके परिवार के लोग बताते हैं कि अब उसे बालू खाने की आदत पड़ चुकी है। जिसके कारण वो स्वस्थ भी रहती है और यही कारण है कि घर के लोग उसकी आदत छुड़ाने की कोशिश भी नहीं करते। ये तो गज़ब की आदत है। हर किसी के बस कि बात नहीं कि वो रेत खा कर पचा ले।
अभी कुछ दिनो पहले एक लड़की के बारे में पढ़ा था। वो लड़की बचपन से लेकर 14 साल की उम्र तक सिर्फ़ पारले-जी बिस्कुट खा कर जिंदा है। उसे कभी खाना खाने क ज़रूरत ही नहीं महसूस हुई। ख़ैर पारले-जी तो ठीक है लेकिन ये रेत खा कर जिंदा रहना, थोड़ी हैरान करने वाली बात है। हम रेत खालें तो मर ही जाएं। डॉक्टरों के अनुसार उसे साइकायट्रिस्ट बीमारी है। ज्यादातर लोग इस बीमारी में किसी न किसी आदत का शिकार हो जाते हैं। डॉक्टरों का यह मानना है कि उसकी पाचन क्रिया सामान्य है इसीलिए वह बालू खाने से बीमार नहीं होती। यह बालू मल के द्वारा उनके पेट से निकल जाती है। उसे एक सही मानसिक इलाज की जरूरत है।