मल्लपा और शंकुतला ने जब एक दूसरे को वरमाला पहनाई तो वहां मौजूद सभी लोगों ने ताली बजाकर उनका अभिवादन किया। साथ ही इस शादी में शामिल हुए दोनों के परिवारवाले और रिश्तेदार भी बेहद खुश नजर आए। मल्लपा की मां कंचम्मा बेहद गरीब है और मल्लपा को नौकरी मिलने से पहले तक वह उसे अपने कंधे पर बिठाकर हर जगह लेकर जाती थी। मल्लपा पढ़ाई में अच्छा था। बीए पास करने के बाद कंचम्मा उसे थोंटाडा सिद्धलिंग स्वामीजी के मठ में ले गई जहां स्वामी जी ने मल्लपा को नौकरी दे दी। अब वह पिछले 13 सालों से थोंटाडा कमिटी के हाई स्कूल में सेकंड ग्रेड क्लर्क का काम कर रहा है।

मल्लपा कहते हैं, ‘शंकुतला ने मुझे नहीं जिंदगी दी और मुझे उस पर बहुत गर्व है। हर इंसान में भावनाएं होती हैं और हमें उसका सम्मान करना चाहिए। हम ऐसा इंसान के साथ नहीं रह सकते जिसे हम खुद से कम समझते हैं। थोंटाडा सिद्धलिंग स्वामीजी का आशीर्वाद हमेशा मेरे साथ है।’

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