नाथ योगी समाज के रामस्वरूप योगी बताते हैं कि 45 साल में अभी तक 25 लोगों की मौत के बाद घरों में ही शव दफनाना पड़ा है।
आज भी यदि किसी की मौत हो जाए तो घर में शव दफनाने के अलावा कोई चारा नहीं है। रामस्वरूप के घर में ही दो मौतें हो चुकी हैं।
पत्नी और बहू की मौत के बाद उन्हें घर में ही दफनाकर सास-बहू की समाधि बनाई गई है, जबकि घर में ऐसा करने की कोई परंपरा नहीं है। समाज के चेतन योगी का कहना है कि यहां नाथ समाज में पहली समाधि 700 साल पूर्व बड़ौदा कस्बे के वार्ड 4 में ली गई।
अमृतनाथ महाराज, वक्तानाथ महाराज और संतोषनाथ महाराज की यह जागीर हुआ करती थी। यहां आश्रम भी था, लेकिन समय के साथ सब कुछ पीछे रहे गया और अब शव को दफनाने तक के लिए जमीन नहीं मिल पा रही है।

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