देश के अनेक कोनों में अनेक तरह की मान्यताएँ हैं। लेकिन एक पेड़ पर मंदिर होने की बात गले से उतरना थोड़ा सा मुश्किल हो जाता है। लेकिन वास्तव में एक चमत्कारिक और आकर्षक मंदिर है निमाज गढ़ में। जगरामेश्वर मंदिर के नाम से मशहूर यह मंदिर बड़ और पीपल के पेड़ पर बना हुआ है और लगभग तीन सौ साल पुराना है। आपको बता दें कि यह मंदिर अब देशी-विदेशी सैलानियों के लिए आकर्षण का केन्द्र बना हुआ है। जगराम दुर्ग में बने मंदिर का निर्माण  विचित्र परिस्थितियों में किया गया यह भी अपने आप में एक अजूबा ही है। मंदिर करीब 20 से 25 फीट की ऊंचाई पर है। मंदिर में जाने के लिए सीढियां बनीं है।

देखने में विचित्र इस मंदिर की बनावट बेहद अलौकिक है। पूरे मंदिर का निर्माण दोनों पेड़ों के तने पर किया हुआ है। पेड़ों की शाखाएं मंदिर के चारों और लिपटी हुई है।  जगरामेश्वर मंदिर श्रद्धालुओं की आस्था का केन्द्र है।  मंदिर निर्माण को लेकर किवदंती प्रचलित है कि यहां एक पुजारी तपस्या में लीन था । इसी दौरान उसे ऊपर से एक मंदिर गुजरने का आभास हुआ। पुजारी  ने अपनी तपस्या के बल पर मंदिर को वहीं उतार लिया। उसे जगराम दुर्ग की पोळ के पास स्थापित किया गया। एेसा बताया जाता है कि मंदिर पेड़ पर उतरा गया था। तत्पश्चात वि. सं. 1765 के करीब इस मंदिर में महादेव की मूर्ति स्थापित कर उसका नाम जगरामेश्वर रखा। मंदिर में शिव परिवार की स्थापना की गई। तत्कालीन शासक परिवार ने मंदिर का पुनरुद्धार भी करवाया।

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