गांव में 15 से अधिक परिवार हैं। सभी की आजीविका खेती पर ही निर्भर हैं। गांव में बुनियादी सुविधाओं का अभाव है। लोगों को हाथियों का डर सताते रहता है। हम लोगों ने पेड़ों पर ही ठिकाना बना लिया है। झारखंड हाथियों के उत्पात के कारण बड़ी पैमाने पर तबाही का गवाह रहा है। हाथियों के झुंड खड़ी फसलों और घरों को तबाह कर देते हैं। वर्ष 2000 के नवंबर में जब से बिहार को काटकर झारखंड का गठन हुआ है तब से अब तक 1000 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है। राज्य में हाथियों की संख्या वर्ष 2007 में जहां 624 थी वह 2022 तक बढ़कर 688 होने की संभावना है।

पिछले कुछ सालों में 154 हाथियों की मौत हो चुकी है। विशेषज्ञों की माने तो हाथियों के आने-जाने के रास्ते पर लोगों ने घर बना लियें हैं। इसी वजह हाथी गुस्‍से में इंसानी बस्‍ती बर्बाद कर रहे हैं। झारखंड के वन एवं पर्यावरण सचिव सुखदेव सिंह ने कहा हम लोग पेड़ों पर रहने वाले परिवारों को हर संभव मदद के लिए तत्काल एक वरिष्ठ अधिकारियों की एक टीम भेजेंगे। रांची-जमशेदपुर राष्ट्रीय राजमार्ग से यात्रा करने वाले लोगों के बीच हाथियों के झुंड ने डर पैदा कर दिया है। हाथियों के इधर-उधर भटकने के कारण राजमार्ग कई घंटे तक जाम रहता है।

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