शवों के साथ रोजाना उठना-बैठना अब इन बच्चों के लिए आम बात है। जब कभी यहां शव दफनाए जाते हैं तो स्कूल की पढ़ाई ठप रखनी पड़ती है। बच्चे इन्हीं के बीच खेलते-कूदते और पढ़ाई करते हैं। कब्रिस्तान में स्कूल होने के कारण इस स्कूल के सभी बच्चे अपना ज्यादातर वक्त शवों के साथ गुजारते हैं। इतना ही नहीं बच्चों को दोपहर मे खाना भी कब्रिस्तान में शवों के बीच ही खाना होता है। जगह ना होने के चलते एक कमरे दो शिक्षक के बीच चल रहे इस स्कूल में एक साथ 89 बच्चे पढ़ाई करते हैं। जगह के साथ यहां पर शिक्षकों की भी भारी कमी है।