कोर्ट ने कहा कि फिलहाल की कानूनी स्थिति मे वैवाहिक अधिकारों को बनाने का निर्देश तो कोर्ट दे सकता है, लेकिन कानून ये भी कहता है कि वैवाहिक बहाली के लिए किसी को जबरन शरीरिक संबंध बनाने के लिए नहीं कहा जा सकता। कोर्ट ने कहा कि अगर महिला के मन में शंका है कि वैवाहिक अधिकारों को बहाल रखने के आदेश के तहत उसे जबरन पति से शारीरिक संबंध बनाने के लिए मजबूर किया जा रहा है। यह एक गलत धारणा है।
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