अब पत्नी क्या करती बेचारी! ज़िन्दा बच्चों का पेट भरती या मरे पति की लाश उठाती? उस वक़्त उसे जो सही लगा उसने किया। पैसों की कमी के कारण ही बस जुगल को उसका बेटा मुखाग्नि नहीं दे पाया।

 

 

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