शव नहीं मिल पाने की वजह से जुगल का अंतिम संस्कार तो नहीं हो पाया लेकिन दसवां हिन्दू रीतियों के अनुसार किया गया। हज़ारों लोगों की तरह जुगल भी कमाने के लिए पत्नी और तीन बच्चों को लेकर आंध्रप्रदेश गया था। वो आंध्रप्रदेश के गंडामेर जिले में एक ईंट की भट्ठी में काम करता था। पर कुछ दिन जब वो बीमार पड़ गया, तो भट्ठे वालो ने उन्हें टिकट कटवा कर ट्रेन में बैठा दिया। उनके पास जो थोड़े बहुत पैसे थे, वो रास्ते में खत्म हो गये।

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