पहलवानी पुराने समय से ही भारत में ही नहीं बल्कि पूरे विश्व में एक बहुत ही दिलचस्प और रोमांचकारी खेल रहा है। हाल ही में सलमान खान की फिल्म सुल्तान के बाद देश के युवाओं में पहलवानी का क्रेज़ बढ़ता जा रहा है। इसका एक कारण ये भी है कि उत्तर प्रदेश के कई जिलों में आज भी कुश्ती को जाति से ऊपर समझा जाता है।
फिल्म सुल्तान में सलमान के कोच का रोल निभा चुके बागपत के 19 वर्षीय प्रदीप तोमर के अनुसार उनके गांव में एक बड़ी संख्या में युवा पहलवानी करते हैं और राष्ट्रीय तथा अंतर्राष्ट्रीय लेवल पर पदक भी जीत चुके हैं। खुद प्रदीप के बड़े भाई शोकेन्द्र अभी तक 52 देशों में भारत का प्रतिनिधित्व करने के साथ-साथ 8 गोल्ड मेडल और अर्जुन पुरस्कार जीत चुके हैं चुके हैं।
आजकल लोगों के दिमाग में पहलवानों की जो छवि है, आज के पहलवान उससे कहीं अलग है। आज का पहलवान पतला और फुर्तीला है। नेशनल मेडल विनर एक पहलवान के अनुसार, “आज के युवओं ने पहलवानी का मतलब बदल दिया है, पहलवानी एक देसी कला है लेकिन आज के इस युग में देसी घी की जगह प्रोटीन शेक ने ले ली है तो मुगदार को डंबल ने बदल दिया है”। सुभाष ने बताया कि अखाड़ों में मौजूद पहलवानों की डाइट नियमित होती है, जिसमें प्रोटीन व कार्बोहइड्रेट्स सम्पूर्ण मात्र में होते है, जिससे पहलवान के शरीर में मोटापा न बढ़े और फुर्ती बरकरार रहे।
पहलवानी के इस खेल की एक खास बात ये है कि इस खेल के लोग कुश्ती के किसी भी लेजेंड को अपना आदर्श नहीं मानते। बहुत से युवा पहलवान तो इन बड़े बड़े रेसलरों को जानते तक नहीं। आज कल सुशील कुमार और योगेश्वर दत्त जैसे युवा रेसलर इन पहलवानों के आदर्श हैं।