आमतौर पर लोग नई-नई कताबें पढ़ने के लिए लाइब्रेरी आते हैं। यह ऐसी जगह होती हैं जहां आपको किसी भी विषय से संबंधित जानकारी मिल सकती हैं। लेकिन अब लोग किताबों को नहीं इंसानों को पढ़ना शुरु कर रहे हैं। जी हां राजधानी दिल्‍ली में एक ऐसी ही ह्यूमन लाइब्रेरी खुलने जा रही है। जहां से आप किताबें नहीं इंसानों को किराए पर ला सकते हैं। 18 जून से इस लाइब्रेरी का उद्घाटन हो रहा है।

इंसानों को पढ़ने का यह तरीका थोड़ा अलग है। लेकिन यह अब चलन में आ गया है। आपको यहां 30 मिनट के लिए ‘मानव पुस्‍तक’ किराए पर मिलेंगे। असल में यह इंसान ही होते हैं जिन्‍हें आप अपनी रुचि और जरूरत के आधार पर किराए पर ले सकते हैं। इनसे आप हर तरह के सवाल पूछ सकते हैं। ये लोग अपना एक्‍सीपीरिंयस और अनय मुद्दों को आपसे साझा करते हैं। इसके अलावा कुछ नई जानकारी चाहते हैं, तो यह आपको मदद करेंगे। काम हो जाने के बाद इन्‍हें वापस लौटाना पड़ता है।

इस तरह के ह्यूमन लाइब्रेरी की शुरुआत डेनमार्क से हुई थी। साल 2000 में पहली बार कोपेनेहेगन में यह लाइब्रेरी आम जनता के लिए खोली गई। रोनी एबर्गल ने इसकी शुरुआत की और आज दुनिया के करीब 80 देशों में ह्यूमन लाइब्रेरी का विस्‍तार हो चुका है। भारत में सबसे पहले हैदराबाद और फिर मुंबई में ये ह्यूमन लाइब्रेरी खोली गईं थीं। अब दिल्‍ली में भी इसकी शुरुआत हो रही है। इस लाइब्रेरी में रैगिंग, ड्रग एब्‍यूजर, बौद्ध धर्म व्‍यवसायी, कैंसर सर्वाइवर आदि विषयों को प्राथमिकता दी गई है।

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