स्‍थानीय लोगों के अनुसार लड़के बाइक पर आते हैं और गंदी हरकतें करने के बाद फरार हो जाते हैं। यहां तक की बसों में सफर करने वाली महिलाएं भी सुरक्षित नहीं हैं। किरण का कहना है कि हमारे हिसाब से पिछले 4-5 महीनों में इस तरह की घटनाएं तेजी से बढ़ी हैं। उन्‍हें इस बात का पता तब लगा जब उनके एक कर्मचारी की पत्‍नी के साथ यह घटना हुई। इसके बाद इस घटना को लेकर हम पुलिस के पास गए लेकिन कोई समाधान नहीं हुआ।

किरण के अनुसार लेकिन जब इस तरह की हरकतें बढ़ने लगी उनके पास इन मनचलों से लड़ने के अलावा कोई चारा नहीं बचा। हमने उन्‍हें सलाह दी की वो स्‍कूल जाते हुए अपने साथ लाठी लेकर चलें ताकि किसी भी स्थिति से निपटने में मदद मिल पाए। हमने उन्‍हें पुलिसवालों के नंबर भी दिए हैं ताकि आपात स्थिति में वो मदद मांग सके। यह घटनाएं इस इलाके में नई नहीं हैं बल्कि लंबे समय से दोनों गांव इस मुद्दे पर आमने-सामने हाते रहे हैं लेकिन सही राजनीतिक सोच की कमी के चलते इसका आज तक कोई समाधान नहीं हो पाया।

किरण ने आगे बताया कि जब स्‍कूल में लड़कियों से बात हुई तो पता लगा कि वो सभी इससे पीड़‍ित हैं। 40-45 बच्‍चे स्‍कूल जाते हैं और वो जब घर के लोगों से यह सब बताते हैं तो उन्‍हें पढ़ाई से रोका जाता है इसलिए वो चुप रहते हैं। पांच हजार की आबाद के इस गांव के लोगों का मानना है कि उन्‍हें केवल वोट बैंक की तरह देखा जाता है। जब यह बात बेलगावी के पुलिस कमिश्‍नर टीजी कृष्‍णा भट्ट के सामने लाई गई तो उन्‍होंने कार्रवाई का भरोसा दिया है।

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