हालांकि आयशा उन सभी अत्‍याचारों से खुद को बचाकर एक विजेता के रूप में बाहर आई है लेकिन अभी भी वह घिसीपीटी सोच को दरकिनार कर आईपीएस ऑफ‍िसर बनने की इच्‍छा रखती है। अभी वह शेल्टर होम में रहती हैं और सेल्फ डिफेंस के लिए बॉक्सिंग सीख रही हैं। वह उसके जैसी महिलाओं की तकलीफों को कम करने की दिशा में मदद करना चाहती है।

आयशा ने वहां से कई बार भागने की कोशिश की और अपने माता-पिता से वह बहुत गुस्‍सा थी जिन्‍होंने उसके दर्द को नहीं समझा। आखिरकार अपने एक ग्राहक को उसने सारी स्थिति बताई। उस व्‍यक्ति ने न्‍याय विभाग के सदस्‍य को यह जानकारी दी जिसके बाद वेश्‍यालय को बंद किया गया और आयशा को बचा लिया गया।

 

 

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